लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी के नाम एक खुला पत्र

WatchDog//सत्ता की निरंकुशता, आततायियों व कुशासन के खिलाफ एक लोकगायक के तौर पर प्रतिरोध का स्वर बुलंद करने वाले नरेन्द्र सिंह नेगी द्वारा राज्यगीत को स्वर दिए जाने पर उनके प्रशंसक ही सवाल खड़ा कर रहे हैं। ऐसे ही एक प्रशंसक एसके शर्मा ने नेगीदा के नाम एक खुला खत अपनी फेसबुक वाल पर लिखा है।

प्रिय भाई नरेन्द्र सिंह नेगी जी,
उत्तराखंड की सांस्कृतिक चेतना में आपका सदैव अहम योगदान रहा है। आपने यहां के लोकगीतों को नये आयाम दिये हैं। उत्तराखंड के आम लोगों की पीड़ा को आपने अपने मधुर कंठ से समय- समय पर अभिव्यक्ति दी। हिमालय में विनाशकारी बांध परियोजनाओं के विरोध से लेकर उत्तराखंड राज्य आंदोलन तक चले तमाम जनांदोलनों में आप जनता के पक्ष में रहे। राज्य गठन के बाद भी सत्ता की मनमानी पर आपने जो तीखे प्रहार किए वह आपके मशहूर गीत नौछमी नारैण से ही बखूबी समझा जा सकता है। यही वजह है कि उत्तराखंड की जनता आपको दिल से चाहती है। अपेक्षा रखती है कि आप आज भी उसकी आवाज बने रहें।
आज राज्य किस हाल में है वह किसी से छुपा हुआ नहीं है। अपराधों से मैदान ही नहीं, शांत पहाड़ भी कांप रहे हैं। अकेले संवासिनी प्रकरण ने देवभूमि को शर्मसार कर दिया है। नैनीसार में विकास के नाम पर जिस प्रकार जनता के हक-हकूक छीनकर उसे पीटा जा रहा है, उससे लोग सरकार से खौफ खाने लगे हैं। अस्पतालों में डाक्टर नहीं हैं तो स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं, लेकिन पूंजीपतियों को जमीन देने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्कूलों का शिगूफा छोड़ा जा रहा है। मैं इसे मानवाधिकारों का घोर हनन मानता हूं। आखिर मैंने राज्य आंदोलन के दौरान मानवाधिकारों के संरक्षण की लंबी लड़ाई लड़ी है। राज्य के आपदा पीड़ितों की समस्याएं आज ढाई साल बाद भी ज्यों की त्यों हैं। इतनी समस्याएं हैं कि कहां तक लिखें। कई बार तो मन करता है कि लिखकर भी क्या करें जब सत्ता में बैठे लोगों को शर्म ही नहीं आती। खैर, बोलने -लिखने का स्वभाव नहीं छोड़ सकते।
नेगी जी, आज राज्य की हरीश रावत सरकार काम नहीं करना चाहती। उसके संरक्षण में फल-फूल रहा माफिया जनता से लेकर ईमानदार अधिकारियों पर खुलेआम हमले कर रहा है। दुनिया देख रही है कि किस तरह खनन रोकेने गए ईमानदार अधिकारियों को वाहनों तले कुचलने की कोशिशें हुई। सत्ता के मद में चूर राज्य के मंत्रियों के फूहड़ डांस से लेकर फायरिंग करने तक के कारमाने सुर्खियों में हैं, लेकिन इस सबसे जनता का ध्यान हटाने के लिए मुख्यमंत्री हरीश रावत राज्य गीत की रट लगाए हुए हैं। यह तो वही हो गया कि जब रोम जल रहा था तो नीरो बांसुरी बजा रहा था। क्या राज्य गीत से तमाम समस्याएं हल हो गई हैं, क्या सिर्फ गीत की ही कमी रह गई थी। मुझे दुख हुआ कि आपने इस गीत को स्वर दिया। हालांकि मैं आप पर अपना विचार थोप नहीं रहा हूं, बल्कि याद दिला रहा हूं कि जनता आप पर बहुत भरोसा करती है। मुझे न जाने क्यों लगता है कि आप थोड़ा चूक से गए हैं। आशा ही नहीं बल्कि विश्वास है कि आप मेरी बात को सहृदयता से ही लेंगे। धन्यवाद
शुभेच्छु
एस. के. शर्मा

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