हरीश रावत के अंगना में ……………….

flagWatchDog// सीएम हरीश रावत के आंगन में राकेश्वा नाम का झंडा पूरी बुलंदी से लहरा रहा है। हरीश रावत, राकेश शर्मा की ‘बेमिसाल इमानदारी’ पर कुछ इस तरह फिदा हैं कि मुख्य सचिव बनने से पहले अपर मुख्य सचिव रहते हुए औद्योगिक विकास, वित्त और नागरिक उडडयन जैसे अहम महकमे संभालने वाले राकेश शर्मा को मुख्य सचिव के तौर पर भी इन विभागों की जिम्मेदारी दे दी गई है। मुख्य सचिव की नियुक्ति के दो सप्ताह के बाद हरीश रावत को लगा कि राकेश शर्मा जैसी काबिलियत का अफसर उनके पास नहीं है, लिहाजा मुख्य सचिव को ही इन विभागों को दे दिया गया। शर्मा की काबिलियत तो एक मुददा है, लेकिन असल सवाल उन घोटालों पर अगले कुछ महीनों तक पर्दा डाले रखना है जिनमें सालों तक रहने के दौरान शर्मा ने अंजाम दिया है। सिडकुल से लेकर नागरिक उडडयन तक कई भीमकाय घोटाले अंजाम दिए गए हैं। याद करें जब कुछ दिनों के लिए सरकार ने सिडकुल में एमडी की कुर्सी पर शैलेश बगोली को बैठा दिया था तो तब बंगोली ने बताया था कि कैसे जिस काम को करने के लिए उत्तराखंड पावर कार्पोरेशन बीस करोड़ ले रहा था उसी काम को उत्तर प्रदेश निर्माण निगम से कई गुना ज्यादा पर करवाने की कोशिश हो रही थी। तब बंगोली ने राकेश शर्मा एंड कंपनी के षडयंत्रों को नाकाम कर दिया था। बगोली ने कई प्रोजेक्टस की थर्ड पार्टी जांच शुरू कर भुगतान तक रोक दिया था। लेकिन बंगोली की यह इमानदारी हरीश रावत को भी हजम नहीं हुई और तीन महीने के भीतर ही बगोली को सिडकुल से चलता कर दिया गया। उनकी जगह पर शर्मा ने अपने खासमखास नौकरशाह राजेश कुमार को बैठा दिया। राजेश कुमार सिडकुल को कुछ वैसे ही हांक रहे हैं जैसे कि शर्मा चाहते हैं। ये साहब भी राकेश शर्मा के भावी उत्तराधिकारियों में से एक हैं।

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