इस भाजपाई नेता के लिए बधाई तो बनती ही है

WatchDog//सत्ताधारी कांग्रेसी हों या फिर 2017 में वापसी का सपना देख रहे भाजपाई जरा भी इस राज्य के प्रति ईमानदार होते तो आज डेढ दशक बाद उत्तराखंड के हालात कुछ और होते। दोनों ही पार्टियां इस राज्य को दिशाहीनता के दलदल में धकेलने की कसूरवार रही हैं। आज जो भ्रष्टाचार, कुशासन और लठैतराज दिख रहा है उसको पनपाने में इन दोनों का भी बराबर का सहभाग रहा है। इस राज्य के संसाधनों को लूटने-लुटाने के खेल में कोई भी पीछे नहीं रहा है। भ्रष्टाचार के सवाल पर दोनों ही पार्टियां चोर-चोर मौसेरे भाई की तर्ज पर काम करती रही हैं। यही वजह है कि उत्तराखंड में चुनाव के वक्त वोटों के लिए भ्रष्टाचार और घपले-घोटालों को आधार बनाकर चुनावी फसल तो काटने की कोशिश होती है लेकिन जब घोटालेबाजों के खिलाफ कार्रवाई करने का समय आता है तो दोनों ही पार्टियां खामोश हो जाती हैं। मुख्यमंत्री रहते हुए बीसी खंडूड़ी ने मजबूत लोकायुक्त कानून पारित कर एक कोशिश जरूर की, लेकिन कांग्रेसियों ने उसे भी विफल कर दिया। आज स्थिति यह है कि तीन साल से यह राज्य लोकायुक्तविहीन चल रहा है। जिस तरह से हरीश रावत लोकायुक्त के मसले पर लुकाछुप्पी का खेल खेल रहे हैं उससे लगता नहीं कि उनकी मंशा इसे लागू करने की है। लेकिन अब मामला देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंचने से उम्मीद जगती है कि हरीश रावत को देर सबेर लोकायुक्त की नियुक्ति करनी ही पड़ेगी। इस पूरे मामले को दिल्ली भाजपा के नेता व एडवोकेट अश्वनी उपाध्याय सुप्रीम कोर्ट तक ले गए हैं। अगले कुछ दिनों में उपाध्याय की उत्तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति की मांग वाली याचिका पर सुनवाई होने की उम्मीद है। उत्तराखंड में भाजपाइयों की सरकार के साथ चलने वाली मिलीभगत के बीच लोकायुक्त के मसले पर सरकार पर दबाव बनाने के लिए उपाध्याय की सराहना तो की ही जानी चाहिए।

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