क्या यह भी हरीश रावत जैसे लोगों का खेल है ?

By Suresh Nautiyal/WatchDog/Deharadun
जैसे-जैसे चुनावी वर्षाऋतु निकट आती जा रही है, वैसे-वैसे अनेक लोग मेंढ़कों की तरह टर्राने लगे हैं. इसी अंदाज़ में नयी-नयी राजनीतिक पार्टियां बन रही हैं. कोई किसी बहाने और कोई किसी बहाने! कोई पार्टी बंद कमरे में, कोई पार्क में और कोई फेसबुक पर बन रही है. पार्टी न होकर जैसे कोई पिकनिक हो गयी!
क्या यह भी हरीश रावत जैसे लोगों का खेल है, जिन्होंने उत्तराखंड आंदोलन के दौरान रातों-रात छप्पन (५६) संगठन खड़े कर दिए थे, राज्य आंदोलन को कमजोर करने के लिए? जनता सावधान रहे और पूरी जांच करे कि ठीक चुनाव से पहले ये राजनीतिक संगठन क्यों बनते हैं और चुनाव के बाद कहां खो जाते हैं! आप जानते ही हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान जिन बड़े-बड़े सेवानिवृत्त अधिकारियों ने दल बनाए थे, उनका अस्तित्व आज कहीं नहीं.
आज आये दिन जो पार्टियां बन रही हैं, उनका हस्र क्या यही होने वाला है? कहां गयी मुन्ना सिंह चौहान की पार्टी? कहां गयी पांगती की पार्टी? और, कहां गयी टीपीएस रावत की पार्टी?
चलो, यूकेडी ने राज्य की जनता के साथ धोखा किया और कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा सरकार का हिस्सा रही है.
पर भाई जनता के साथ २००९ जनवरी से ही खड़ी उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी क्यों नहीं दिखाई दे रही जिसने स्वास्थ्य और शिक्षा से लेकर श्रम के सम्मान और पीडीएस जैसे आन्दोलन किए तथा जिसके नेताओं ने वीरपुर-लच्छी से लेकर नानीसार तक में माफिया की मार खाई और जेल के कष्ट सहे और अनेक मुकदमे झेल रही है?
क्या इस बार का वोट उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के पक्ष में नहीं बनता?
क्या आपको निर्णय, क्रियान्यवयन और श्रेय में भागीदारी नहीं चाहिए?
यदि हां, तो आपका एकमात्र विकल्प इस बार उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ही होना चाहिए!
जय उत्तराखंड, जय जगत!
सुरेश नौटियाल
केंद्रीय उपाध्यक्ष, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी

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